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जेजुरी खंडोबा मंदिर में करोड़ों रुपये का भ्रष्टाचार

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उन्मेष गुजराथी 

स्प्राउट्स एक्सक्लूसिव

जेजुरी के खंडोबा मंदिर में करोड़ों रुपये का भ्रष्टाचार हो रहा है. ‘स्प्राउट्स’ की स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम को चौंकाने वाली जानकारी मिली है कि स्थानीय बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज, राजनीतिक नेताओं और चैरिटी कमिश्नर के सहयोग से यह भ्रष्टाचार दिन प्रति दिन बढ़ता जा रहा है.

महाराष्ट्र के पुणे जिले के जेजुरी गांव में भगवान खंडोबा का मंदिर है. खंडोबा महाराष्ट्र के कुलदेवता देवता हैं. इस कुलदेवता के दर्शन के लिए न केवल महाराष्ट्र से बल्कि विदेशों से भी भक्त आते हैं. इन भक्तों से श्री मार्तंड देव संस्थान के प्रबंधन को हर वर्ष करोड़ों रुपये का चंदा मिलता है. लेकिन इसमें बहुत भ्रष्टाचार होता है. इतना ही नहीं भक्तों और पूर्व ट्रस्टियों को भक्तों से मिलने वाले चंदे के संबंध में कोई जानकारी नहीं दी जाती है. ट्रस्ट के पूर्व ट्रस्टी नंदा राउत ने ‘स्प्राउट्स’ से बात करते हुए यह सनसनीखेज आरोप लगाया है.

जेजुरी मंदिर का इतिहास 400 साल का है. इन 400 वर्षों के दौरान पुराने राजाओं और भक्तों ने मंदिर को करोड़ों रुपये की जमीन उपहार में दी है. अभी तक जेजुरी गांव और उसके बाहर पुणे, सतारा और सोलापुर जिलों में 250 एकड़ से अधिक जमीन है. इस जमीन से मंदिर को किसी तरह की आय नहीं होती है. उसके अधिकार देवसंस्थान के पास हैं. लेकिन पूर्व ट्रस्टी सुनील आसवालिकर स्वयं ही वर्षों से अवैध रूप से मंदिर परिसर में रह रहे हैं. कुल मिलाकर इन सभी जमीनों हड़प लिया गया है. इससे मंदिर को लाखों रुपये की मासिक आय से हाथ धोना पड़ रहा है.

खुद ट्रस्टी ही सालों से भ्रष्टाचार करते आ रहे हैं, इसलिए बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज जमीन हड़पने वालों से अच्छी तरह वाकिफ हैं. इसके कारण करोड़ों रुपये की इन जमीनों को ‘तू भी चुप, मैं भी चुप’ की पद्धति के आधार पर हड़प लिया गया है और इसलिए इस पर किसी तरह की कार्रवाई का सवाल ही नहीं उठता. मंदिर के मुख्य ट्रस्टी तुषार सहाणे से संपर्क किया गया तो उनसे संपर्क नहीं हो सका.

श्री मार्तण्ड देवस्थान में विभिन्न प्रकार से बड़े पैमाने पर करोड़ों रुपये का भ्रष्टाचार हो रहा है. इसलिए भक्त सुरेंद्र कदम ने मंदिर से आंतरिक ऑडिट रिपोर्ट मांगी थी. उन्होंने यह रिपोर्ट आरटीआई के माध्यम से मांगी थी. इस पर देवस्थान ने कहा, “यह ट्रस्ट पब्लिक अथॉरिटी के दायरे में नहीं आता है. इसलिए, सूचना का अधिकार 2005 इस ट्रस्ट पर लागू नहीं होता है.” यह कारण बताकर, इस संबंध में कोई भी जानकारी देने से इनकार कर दिया और आवेदन का निस्तारण कर दिया गया.

दरअसल श्री मार्तंड देव संस्थान न्यास सार्वजनिक न्यास के तहत पंजीकृत है. हालांकि मंदिर प्रबंधन ने मनमाने तरीके से आरटीआई आवेदन को खारिज कर दिया है. इससे ट्रस्टियों के भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने का तरीका सामने आया है.


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