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नवभारत टाइम्स और महाराष्ट्र टाइम्स ने सस्ते प्रचार के लिए बच्चों से मंगवाई भीख 

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उन्मेष गुजराथी
स्प्राउट्स एक्सक्लूसिव

मशहूर होने का ढोंग रचनेवाले और सामाजिक प्रतिबद्धता दिखाने का दम्भ भरनेवाले नवभारत टाइम्स अखबार का पाखंड जगजाहिर हो चुका है. महाराष्ट्र सरकार के महिला एवं बाल अपराध निवारण विभाग ने भी टाइम्स प्रशासन को नोटिस जारी किया है कि क्राउड फंडिंग के जरिये बच्चों से भीख मंगवाना  अपराध है.

नवभारत टाइम्स टाइम्स ग्रुप (Bennett, Coleman and Co. Ltd, BCCL) का एक अखबार है. इस हिंदी अखबार के मुंबई संस्करण में बच्चों के बारे में खबर छपी थी. इस खबर में 18 साल से कम उम्र के लड़के और लड़कियों की तस्वीरें भी प्रकाशित की गई थीं. इन तस्वीरों में आम पाठकों से बच्चों के भविष्य के लिए पैसों की मांग की गई थी.

नवभारत टाइम्स ने ‘हेल्प ए स्टार’ की खूबसूरत हेडलाइन के तहत कथित रूप से पैसा मांगने का  अभियान चलाया था. यह अभियान 7 साल से चल रहा था. हर साल की तरह इस साल भी नवभारत टाइम्स में लगातार कुछ दिनों तक इस बारे में खबर छपी थी. इस खबर के जरिये पाठकों से अनुरोध किया गया कि नवभारत टाइम्स को चेक से भुगतान करें. इस कथित अभियान के माध्यम से केवल 15 बच्चों को वित्तीय सहायता प्राप्त होनी थी. लेकिन इसे लेकर खूब हो-हल्ला मचा था. इसकी बड़े पैमाने पर ब्रांडिंग की जा रही थी. इतना ही नहीं, इसके लिए ‘अपना सहकारी  बैंक’  को बैंकिंग पार्टनर बनाया गया था. 

नवभारत टाइम्स का प्रशासन भी एक माह से इस कथित अभियान का प्रचार-प्रसार कर अपनी पीठ थपथपा रहा था, इसके अलावा वर्तमान मंत्री उदय सामंत, फर्जी डिग्रीधारक पूर्व मंत्री विनोद तावड़े जैसे  पूर्व मंत्री भी इस अभियान में शामिल किए गए थे. इसके अलावा इसके लिए साकिब सलीम जैसे दुय्यम अभिनेता और असफल अभिनेत्रियों के बेड़े का हमेशा समर्थन था. 

आप प्रमुख और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भी प्रचार अभियान में आमंत्रित किया गया था और टाइम्स समूह ने इसके माध्यम से पाठकों को गुमराह करने की कोशिश की.

बड़े पैमाने पर पैसे के गबन का अंदेशा

दान किए गए धन की तुलना में इस आयोजन का प्रचार बहुत अधिक हो जाता है, इसलिए जनप्रतिनिधि, मंत्री और उद्योगपति इस कार्यक्रम में अवश्य शामिल होते हैं. इस कथित अभियान से अधिक धन एकत्र करने में सक्षम होने के लिए, टाइम्स द्वारा मुंबई में विभिन्न स्थानों पर सैकड़ों संग्रह केंद्र स्थापित किए गए थे. ‘स्प्राउट्स’ से बात करते हुए कई नागरिकों ने संभावना व्यक्त की कि बड़ी मात्रा में धन का गबन किया गया था.

मराठी पाठकों से पैसे वसूलने के लिए महाराष्ट्र टाइम्स का इस्तेमाल

जिन बच्चों के लिए नवभारत टाइम्स ने भीख मांगी, वे बच्चे उत्तर भारतीय थे. इसके अलावा ‘महाराष्ट्र टाइम्स’ नाम का एक और अखबार है जो नवभारत टाइम्स की सहयोगी संस्था है. इसमें इस कथित अभियान की भी योजना बनाई गई थी. लेकिन ये बच्चे मराठी भाषी थे, इससे साफ होता है कि इन अखबारों का मकसद कभी भी बच्चों की मदद करना नहीं था. अतः इन बच्चों का उपयोग कर भाषा और क्षेत्र के आधार पर भीख मांगना, गबन करना और पाठकों की संख्या बढ़ाना, दिन के उजाले के सामान स्पष्ट दिखाई देता है.

क्राउडफंडिंग के जरिये बच्चों से पैसे मंगवाना गैरकानूनी है

महिला एवं बाल अपराध निवारण विभाग ने नवभारत टाइम्स को नोटिस भेजा है. नोटिस में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि नवभारत टाइम्स प्रशासन की यह कथित गतिविधि किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 की धारा 2(8) के तहत ‘भीख मांगने’ के रूप में आती है. इसलिए यह 2015 की धारा 76 के तहत अपराध है.

नोटिस में यह भी कहा गया है कि, “जो व्यक्ति भीख मांगने के लिए किसी बच्चे का उपयोग करता है या उससे भीख मंगवाता है, उसे 5 साल तक का कारावास और 1 लाख रुपये का जुर्माना हो सकता है. 

‘स्प्राउट्स’ के प्रतिनिधि ने इस कथित कदाचार के बारे में नवभारत टाइम्स के संपादक सुंदर चंद्र ठाकुर और विशेष पुलिस महानिरीक्षक दीपक शिवानंद पांडे से बार-बार संपर्क किया, लेकिन संपर्क नहीं हो सका.

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