मुंबई बैंक का वकील टैक्सचोर

Unmesh Gujarathi
6 Min Read

17 JAN 2023 SPROUTS STORY PG 1

उन्मेष गुजराथी
स्प्राउट्स एक्सक्लूसिव

‘स्प्राउट्स’ (Sprouts) की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) को चौंकाने वाली जानकारी मिली है कि नोटिस के जरिए ‘स्प्राउट्स’ के संपादक को धमकी देने वाला मुंबई बैंक (Mumbai Bank) का वकील अखिलेश मायाशंकर चौबे (Akhilesh Mayashankar Chaubey) टैक्सचोर (tax evader) है. स्प्राउट्स की मांग है कि समुचित जांच के बाद उक्त टैक्सचोर वकील अखिलेश मायाशंकर चौबे की कानून की डिग्री और वकील के रूप में नामांकन रद्द किया जाना चाहिए.

मुंबई बैंक ने हाल ही में ‘स्प्राउट्स’ के संपादक को कानूनी नोटिस भेजा है. लीगल फर्म एवीएस एण्ड एसोसिएट्स (AVS & Associates) द्वारा नोटिस जारी किया गया था. इस लीगल फर्म के मालिक अखिलेश मायाशंकर चौबे हैं. चौबे पेशे से वकील हैं और प्रवीण दरेकर (Praveen Darekar) के करीबी माने जाते हैं. दरेकर के भ्रष्ट कार्यों के लिए हमेशा इसकी जरुरत होती है.

चौबे टैक्स चोरी में माहिर हैं. उन्होंने सरकार को 48 लाख रुपये का टैक्स नहीं दिया. इसके चलते आयकर विभाग (Income Tax Department) ने 15 फरवरी, 2019 को मुंबई बैंक को नोटिस जारी कर कहा था कि अखिलेश मायाशंकर चौबे ने 48 लाख रुपये का टैक्स नहीं चुकाया है. इसलिए उनका बैंक खाता अटैच किया जाए.  इतना ही नहीं, मुंबई बैंक को चौबे को भुगतान की जाने वाली राशि को आयकर विभाग में जमा करने का भी आदेश दिया था. स्प्राउट्स की एसआईटी के पास ऐसे सबूत हैं.

लेकिन, मुंबई बैंक के दरेकर ने इस टैक्सचोर वकील को बचाने का फैसला किया. उन्होंने इस टैक्सचोर अखिलेश मायाशंकर चौबे का मुंबई बैंक में खाता बंद कर दिया और तुरंत उसका खाता ‘मंगल को-ऑप. बैंक (Mangal Co-op. Bank) में खुलवाया गया और उसको भुगतान की जानेवाली राशि उस खाते में जमा की गई थी. विश्वस्त सूत्रों ने ऐसी संभावना जताई है. 

गहन जांच की मांग :

टैक्सचोर वकील अखिलेश मायाशंकर चौबे ने आयकर विभाग और सरकार के साथ धोखाधड़ी की है. इन सभी भ्रष्टाचारों की तत्काल आयकर विभाग द्वारा गहन जांच की जानी चाहिए और उसके खिलाफ मामला दर्ज किया जाना चाहिए. स्प्राउट्स की मांग है कि उचित जांच के बाद कथित अखिलेश मायाशंकर चौबे की कानून की डिग्री और वकील के तौर पर नामांकन रद्द किया जाए.

क्या है मामला?

मुंबई बैंक के अत्यधिक भ्रष्ट और विवादास्पद अध्यक्ष प्रवीण दरेकर ने अन्य योग्य उम्मीदवारों को दरकिनार कर अपने भाई को निर्विरोध निर्वाचित करा लिया है. उसके लिए उन्होंने एकनाथ शिंदे-देवेंद्र फडणवीस सरकार का दुरुपयोग किया है. इतना ही नहीं, उन्होंने इलेक्शन ऑथॉरिटी (Election Authority) को भी ‘मैनेज’ किया है. ऐसी चौंकानेवाली जानकारी सबसे पहले पाठकों तक ‘स्प्राउट्स’ द्वारा पहुंचाई गई थी. इतना ही नहीं, प्रवीण दरेकर जैसे भ्रष्ट चेयरमैन को आर्थिक अपराध शाखा (Economic Offenses Wing (EOW) ने क्लीन चिट दे दी है, जो सरासर गलत है.

महाराष्ट्र में ईओडब्ल्यू जांच करने वाली संस्था है जो राज्य सरकार के निर्देश पर काम करती है. खासकर उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (Deputy Chief Minister Devendra Fadnavis) के आदेश पर ईओडब्ल्यू ने यह गलत फैसला दिया है. नतीजतन, बैंक के लाखों शेयरधारकों और जमाकर्ताओं को वित्तीय नुकसान उठाना पड़ रहा है. इस मनमाने और पक्षपातपूर्ण फैसले के खिलाफ कुछ शेयरधारक और जमाकर्ताओं ने हाईकोर्ट जाने का फैसला किया है, इस प्रकार की रिपोर्ट स्प्राउट्स ने प्रकाशित की थी.

इस विशेष रिपोर्ट ने भ्रष्ट दरेकर और उनके खेमे को नाराज कर दिया. उसके बाद मुंबई बैंक और दरेकर की ओर से ‘स्प्राउट्स’ के संपादक को नोटिस भेजा गया और माफीनामा प्रकाशित करने को कहा गया. यह धमकी भी दी गई है कि अगर माफीनामा प्रकाशित नहीं किया गया तो दीवानी और फौजदारी कार्रवाई (civil and criminal action) की जाएगी. 

विधि विभाग के नाम पर करोड़ों रुपये की लूट :

दरअसल मुंबई बैंक में कानूनी मामलों की आड़ में लूट की जा रही है. निदेशकों के व्यक्तिगत मामले भी इसी टैक्सचोर वकील द्वारा देखे जाते हैं. इन मामलों के बिलों का भुगतान भी मुंबई बैंक द्वारा किया जाता है. मीडिया में जब बैंक घोटाले की खबर आती है तो इसी तरह केस दर्ज कर पत्रकारों को चुप करा दिया जाता है. (कुछ पत्रकारों को ‘पैकेट’ भी दिए जाते हैं, यह धड़ा अलग है). 

यदि बैंक के भ्रष्ट प्रबंधन की खबर या रिपोर्ट प्रकाशित की जाती है, तो ऐसे मामलों में बैंक को एक आवश्यक पक्ष बनाया जाता है. इसी का फायदा उठाकर इस टैक्सचोर वकील चौबे को फर्जी फीस दी जाती है. इसलिए इस बैंक के कानूनी विभाग का कुल खर्च करोड़ों रुपये में जाता है. यह बैंक के शेयरधारकों और जमाकर्ताओं की गाढ़ी कमाई का दुरूपयोग है. यह लूट बंद होनी चाहिए. 

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With over 28 years of experience, Unmesh Gujarathi stands as one of India’s most credible and courageous investigative journalists. As Editor-in-Chief of Sprouts, he continues to spearhead the newsroom’s hard-hitting journalism.
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Beyond his editorial leadership, Unmesh is a prolific author, having written over 12 books in Marathi and English on subjects such as Balasaheb Thackeray, the RTI Act, career guidance, and investigative journalism.
A regular contributor to national dailies and digital platforms, his work continues to inform, challenge, and inspire.
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