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अब ‘लाइफ थ्रेट’ पर उतरा ‘नवभारत’ मैनेजमेंट  

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एक के बाद एक भ्रष्टाचार उजागर होने से बौखलाया

उन्मेष गुजराथी
स्प्राऊट्स Exclusive

एक के बाद एक भ्रष्टाचार उजागर होने से बौखलाया हिंदी दैनिक ‘नवभारत’ का मैनेजमेंट अब अपने ही कर्मचारियों की जान लेने पर उतारू है. बौखलाहट इतनी ज्यादा है कि ‘नवभारत’ के एग्जक्यूटिव डायरेक्टर विवेक प्रसाद ने सर्कुलेशन विभाग के संतोष जैसवार के मुलुंड निवास के निकट पहुंचकर पहले बुलाया और विभिन्न अदालतों में चल रहे केस वापस न लेने पर जातिवाचक गाली देते हुए जान से मारने की धमकी दी. धमकी से डरे संतोष जैसवार ने डीसीपी जोन-7, मुलुंड (प.) के अलावा अन्य संबंधित अधिकारियों को पत्र लिखा. इसके बाद मुलुंड पुलिस ने विवेक प्रसाद के खिलाफ शिकायत दर्ज की.

स्प्राउट्स की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम के पास लगे सबूत में यह भी उजागर हुआ कि नवभारत मैनेजमेंट कर्मचारियों को हर स्तर पर प्रताड़ित कर रहा है. मैनेजमेंट की प्रताड़ना का शिकार दर्जनों कर्मचारी हुए हैं, इनमें से कुछ ने साहस दिखाते हुए कोर्ट का रुख किया है, जिससे बौखलाया ‘नवभारत’ मैनेजमेंट हर तरह के हथकंडे अपना रहा है.

सर्कुलेशन घोटाला, भूखंड घोटाला, ‘शेल’ कंपनियों का पर्दाफाश

‘नवभारत’ मैनेजमेंट को भ्रष्टाचार में महारत हासिल है. स्प्राउट्स की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम ने इसके पहले सर्कुलेशन घोटाला, सानपाड़ा में सिडको की जमीन का घोटाला व टैक्स चोरी के लिए बनाई गईं कंपनियों व फर्मों का पर्दाफाश किया था.

इन कंपनियों में ज्यादातर शेल कंपनियां हैं, जिसके जरिए ‘नवभारत’ मैनेजमेंट सरकार को हर साल हजारों करोड़ रुपए का चूना लगा रहा है. इस संबंध में संबंधित विभागों को प्रूफ सहित शिकायत की गई है, जिनकी जांच जारी है.

डायरेक्टर ने हथियाया पत्रकार कोटे का फ्लैट

नवभारत के डायरेक्टर रहे देशभूषण कुलभूषण (डी.बी. शर्मा) ने बनावटी कागजात के आधार पर म्हाडा द्वारा पवई जैसे पॉश इलाके में म्हाडा द्वारा निर्मित इमारत में पत्रकार कोटे का फ्लैट हथिया लिया. इसका खुलासा भी स्प्राउट्स की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम पहले कर चुकी है. स्प्राउट्स की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम के खुलासे के बाद म्हाडा प्रशासन जांच कर डी.बी. शर्मा के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी कर रहा है. ‘नवभारत’ के दर्जनों कर्मचारी आज भी भाड़े के घरों पर रहते हैं, उन्हें फ्लैट दिलाने में मदद की बजाय डी.बी. शर्मा ने खुद पत्रकार कोटे का फ्लैट हथिया लिया.

सिंडिकेट की तरह काम करता है विवेक प्रसाद

‘नवभारत’ का एज्युटिव डायरेक्टर विवेक प्रसाद एक सिंडिकेट की तरह काम करता है. विवेक प्रसाद व उसकी इसी टीम के लोग आवाज उठाने वाले कर्मचारियों के दमन के लिए कोई कोर कसर नहीं रखते हैं. यही लोग सर्कुलेशन घोटाले के सबसे बड़े सूत्रधार हैं.

पीएफ विभाग को भी लगाया चूना

‘नवभारत’ मैनेजमेंट के घोटालों की फेहरिस्त में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (पीएफ) भी शामिल है. यह मामला तब उजागर हुआ जब पीएफ के वाशी व बांद्रा कार्यालय में शिकायत की गई. 11 अक्टूबर 1997 से मुंबई से ‘नवभारत’ का प्रकाशन शुरू हुआ, लेकिन मैनेजमेंट ने 2005 तक दर्जनों कर्मचारियों का पीएफ डिडेक्शन ही नहीं किया. इसके बाद शुरू किया तो पीएफ के नियमों को ताक पर रखकर.

इस मामले में वाशी पीएफ कार्यालय आदेश भी जारी कर चुका है. अपनी सफाई में नवभारत मैनेजमेंट ने पहले तो कहा कि हमें नियम की जानकारी नहीं थी. बाद में शातिर दिमाग मैनेजमेंट पीएफ अधिकारियों को ‘मैनेज’ करने में जुट गया. स्प्राउट्स की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम के हाथ लगे सबूत के अनुसार ‘नवभारत’ का मैनेजमेंट शुरू में एसएमई के तहत इसका लाभ लेने का जुगाड़ किया, लेकिन वह भूल गया कि 4 अलग-अलग एडीशन (नागपुर, मुंबई, नाशिक, पुणे) दिखाकर विज्ञापन के जरिए हजारों करोड़ रुपए हर साल सरकार से वसूलना उसे भारी पड़ेगा.

टीम ने अपनी जांच में यह भी पाया कि ‘नवभारत’ मैनेजमेंट अलग-अलग एडिशन का अलग-अलग विज्ञापन रेट का सर्टिफिकेट संबंधित विभागों (डीएवीपी, डीजीआईपीआर) को ‘मैनेज’ कर हासिल कर लिया है और यही सर्टिफिकेट दिखाकर हर साल सरकार से हजारों करोड़ का विज्ञापन लेता है, साथ ही प्राइवेट विज्ञापन भी इसी के आधार पर लेता है. लेकिन टैक्स बचाने के लिए (इनकम टैक्स, जीएसटी, एसजीएसटी) काफी गोलमाल करता है, जिसमें सभी एडिशनों का एकमात्र बैलेंसशीट सिर्फ नागपुर के पैन नंबर पर दर्शाता है. ‘नवभारत’ मैनेजमेंट के इस घोटाले पर भी संबंधित विभागों की नजर है और वह कार्रवाई की तैयारी में है.


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