अस्वास्थ्यकर फ्रूटी

Unmesh Gujarathi
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SPROUTS Nov 10 2021 StoryPage1

फ्रूटी जैसे पैकेज्ड हेल्थ ड्रिंक्स (packaged health drinks like Frooti) का सेवन करनेवाले बच्चे स्वास्थ्य के लिहाज से गंभीर खतरे में होते हैं

उन्मेष गुजराथी
स्प्राउट्स ब्रांड स्टोरी

मानव शरीर पर हानिकारक दुष्प्रभाव डालनेवाले  उच्च परिरक्षकों और रासायनिक सामग्री (high preservatives and chemical content) से उत्पन्न होता है. अनजान लोगों के लिए बहुप्रचारित मैंगो फ्रूटी हेल्थ ड्रिंक (Mango Frooti health drink) में सिर्फ 19% मैंगो पल्प होता है. पेय में बाकी सामग्री में सोडियम बेंजोएट और पोटेशियम सॉर्बेट (Sodium Benzoate and Potassium Sorbate) जैसे हानिकारक रसायन शामिल हैं.

सोडियम बेंजोएट सिरदर्द, आंतों की खराबी और बच्चे के चयापचय (metabolism) में उच्च अति सक्रियता जैसे खतरों को लीड करता है. पोटेशियम सॉर्बेट जिससे सॉर्बिक एसिड और इससे सम्बंधित लवण बनते हैं, छोटे बच्चों में प्रकट होने वाली अति सक्रियता की प्रक्रिया को उत्प्रेरित कर सकता है.

स्प्राउट्स (Sprouts) की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) ने पाया है कि फ्रूटी जैसे खाद्य पदार्थ के पैकेज्ड ब्रांड्स जिनमें चीनी और वसा की मात्रा अधिक होती है, बच्चों के व्यवहार को नुकसान पहुंचा सकते हैं और इसके परिणामस्वरूप उनका आईक्यू स्तर भी कम हो सकता है. प्रस्तुत आंकड़ों से पता चलता है कि स्टैंडर्ड 200 मिलीलीटर फ्रूटी पैकेज में 13 से 14 ग्राम रिफाइंड चीनी होती है.

एक चिकित्सा पेशेवर (medical professional) ने आगाह किया है कि माता-पिता या युवा लोगों को आत्मसंतुष्ट नहीं होना चाहिए, यह सोचकर कि पैकेज्ड खाद्य वेरायटीज में उपरोक्त नामित परिरक्षक नहीं होते हैं, उपभोग के लिए सुरक्षित हैं. उनहोंने यह भी कहा, “कई मामलों में फ्लेवरिंग के प्रयोजनों के लिए खाद्य परिरक्षकों के अलावा रासायनिक योजकों का एक संयोजन होता है. यह  बहुत अधिक हानिकारक और यहां तक कि कार्सिनोजेनिक (carcinogenic) प्रकृति का भी हो सकता है.” 

हालांकि किसी विशेष रसायन का सटीक प्रभाव अपने आप में बच्चे के स्वास्थ्य पर उतना घातक नहीं हो सकता है. लेकिन शरीर में उनकी संचयी उपस्थिति छोटे बच्चों में गंभीर लक्षण पैदा कर सकती है. गैस्ट्रिक जलन, डायरिया और अस्थमा के पुराने दौरे, त्वचा पर छिटपुट चकत्ते दिखाई देने सहित सांस की बीमारियों से  लेकर, वे मितली भी कर सकते हैं जो बच्चों को उल्टी और उबकाई के साथ खत्म होती है.

“उदाहरण के लिए, फ्रूटी के हमारे अध्ययन के मामले में, इसकी 80% से अधिक सामग्री में खाद्य संरक्षक, चीनी, पानी और खाद्य के सिंथेटिक कलरिंग पिगमेंट्स (synthetic coloring pigments) शामिल हैं. समस्या इसलिए पैदा होती है क्योंकि फलों पर आधारित या प्राकृतिक स्वास्थ्य सामग्री वाले कई पैकेज्ड खाद्य उत्पादों के विज्ञापनदाता एक ही रणनीति अपनाते हैं. वे पैकेज्ड फूड को अपने लक्षित दर्शकों के दिमाग में हेल्थ या न्युट्रिशन फूड (nutrition food) के रूप में पेश करते हैं.” एक चिकित्सा पेशेवर ने चेताया. 

इसके अलावा, कई खाद्य परिरक्षक शरीर के तरल पदार्थों के साथ रासायनिक रूप से प्रतिक्रिया करने में सक्षम होते हैं, जिससे सल्फर डाइऑक्साइड (sulphur dioxide) या हाइड्रोजन सल्फाइड (hydrogen sulphide) जैसी हानिकारक गैसें पैदा होती हैं. एक पोषण विशेषज्ञ (nutritionist) ने चेताया, “जो बच्चे लंबे समय तक बार-बार इस तरह के पैकेज्ड फूड का सेवन करने के आदी हो जाते हैं, उनके शरीर के चयापचय और उनके मानसिक संकायों दोनों में विकार विकसित होने की संभावना होती है.”

पोषण विशेषज्ञों ने बच्चों में अच्छे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए ऐसे सिंथेटिक विकल्पों के स्थापन्न के रूप में नारियल पानी, ताजा नीबू का रस, ताज़े फलों के रस और यहां तक कि छाछ या लस्सी जैसे प्राकृतिक ड्रिंक्स का सुझाव दिया. 

“कई पैकेज्ड खाद्य पदार्थों को खपत के लिए स्वस्थ और पौष्टिक होने का दर्जा मिलता है और कुछ को स्वास्थ्य पूरक के रूप में भी दिखाया जाता है. मुझे  लगता है कि हमारे नीति निर्माताओं (policy makers) को सार्वजनिक राय को प्रभावित करने के लिए अपनाए जा रहे अनैतिक विज्ञापन मानदंडों पर तेजी से कार्रवाई करनी चाहिए.” – अधिवक्ता जयकुमार वोहरा, मुंबई उच्च न्यायलय 

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With over 28 years of experience, Unmesh Gujarathi stands as one of India’s most credible and courageous investigative journalists. As Editor-in-Chief of Sprouts, he continues to spearhead the newsroom’s hard-hitting journalism.
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Beyond his editorial leadership, Unmesh is a prolific author, having written over 12 books in Marathi and English on subjects such as Balasaheb Thackeray, the RTI Act, career guidance, and investigative journalism.
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