किक्ड आउट मैसूरु बिशप विलियम का 20,000 करोड़ का घोटाला

Unmesh Gujarathi
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21 JAN 2023 SPROUTS PRINT 1 1

उन्मेष गुजराथी

स्प्राउट्स एक्सक्लूसिव 

स्प्राउट्स की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (Sprouts’ Special Investigation Team) के पास एक पत्र की प्रति है जिसे एक बंब और भारतीय कैथोलिक चर्च के पूरे इतिहास में इसके  शीर्ष नेतृत्व को भेजे गए सबसे हानिकारक पत्रों में से एक कहा जा सकता है.

जस्टिस माइकल सल्ढाना (Justice Michael Saldhana) (बांबे और कर्नाटक उच्च न्यायालय के पूर्व जज) ने हाल ही में बहार किये गए मैसूरु के बिशप के. ए. विलियम (Mysuru Bishop K.A. William) के मन को झकझोरनेवाले 20,000 करोड़ के ठगी के घोटाले का का खुलासा किया है.

विलियम पर आरोप है कि उसने 4 प्रीस्ट्स की हत्या की है, एक विवाहित महिला का अपहरण किया, 5 कई प्रेमिकाओं से, जिन्हें पैसे और कार उपहार में दी गईं, 5 नाजायज बच्चे पैदा किये,  चर्च के फंड से सैकड़ों करोड़ की ठगी की, और अभी हाल ही में ₹ 3.5 की जीएसटी चोरी की चोरी में पकड़ा गया था.

जस्टिस सल्ढाना द्वारा मैसूरु डाइओसीज के नवनियुक्त अंतरिम प्रशासक – आर्कबिशप एमेरिटस बर्नार्ड मोरस (Archbishop Emeritus Bernard Moras), मैसूरु डाइओसीज के विक जनरल (Vicar General of Mysuru Diocese), दिल्ली के नुन्सिओ (Nuncio) और मुंबई के कार्डिनल ग्रेसियस (Cardinal Gracias) को चर्च के लिए बहुत गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी दी गई है, अगर उन्होंने उनके पत्र की सामग्री की अनदेखी की और जिसे वे हर कीमत पर टालना चाहते थे.

जस्टिस सल्ढाना अपनी सीधी-सादी छवि के अनुसार मोरस को विलियम के उकसाने वाले और कवर-अप के रूप में दोषी ठहराने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं, जब वह बैंगलोर के आर्कबिशप के रूप में उनके तत्काल वरिष्ठ थे. दावा किया जाता है कि मोरास, ग्रेसियस और वेटिकन (Vatican) को पिछले 4 वर्षों के दौरान 37 प्रीस्ट्स, एओसीसी, मुंबई और जस्टिस सल्ढाना द्वारा आरोपों के अकाट्य सबूत दिए गए हैं. लेकिन गंभीर शिकायतों पर किसी ने कार्रवाई नहीं की.

स्प्राउट्स की एसआईटी के पास जस्टिस सल्ढाना का विस्फोटक पत्र है, जो मोरास, विक जनरल और अन्य को विवाद से हमेशा के लिए छुटकारा पाने के लिए तत्काल सुधारात्मक उपाय करने की चेतावनी देता है, क्योंकि इसने 4 साल तक मैसूरु डाइओसीज को अत्यधिक क्षति पहुंचाई है, जिससे चर्च की प्रतिष्ठा और पदानुक्रम (hierarchy) को भारी नुकसान पहुंचा है. 

भारत में पोप के राजदूत – नुन्सिओ लियोपोल्डो गिरेली (Nunicio Leopoldo Girelli) और आर्कबिशप ओसवाल्ड ग्रेसियस (Archbishop Oswald Gracias), भारत के कैथोलिक बिशप कॉन्फरेंस (Catholic Bishops Conference of India (CBCI) के अध्यक्ष को भी प्रतियों के साथ नोटिस दिया गया है. ग्रेसियस दुनिया भर के चर्चों में सुशासन पर पोप के छह सलाहकारों में से एक हैं.

कभी शीर्ष दस अंतर्राष्ट्रीय जजों में स्थान पाने वाले जस्टिस सल्ढाना की आपराधिक कानून के विशेषज्ञ होने और अपने सुनहरे दिनों में एक अच्छा जज होने की प्रतिष्ठा है. स्प्राउट्स को पता चला है कि जस्टिस सल्ढाना ने सबूत इकट्ठा करने और आरोपों की जांच करने के लिए मैसूरु का लगभग 40 बार दौरा किया.

कार्डिनल ग्रेसियस द्वारा ‘रोम में कवर’ प्रदान किए जाने के बावजूद विलियम को हटाना मुख्य रूप से जस्टिस सल्ढाना द्वारा रोम और नुन्सिओ गिरेली को उनकी अच्छी तरह से शोध की गई जांच के आधार पर दिए गए कानूनी नोटिसों की बाढ़ को श्रेय दिया जाता है जिसे वेटिकन अनदेखा नहीं कर सकता था.

मैसूरु डाइओसीज (Mysuru Diocese) के 37 प्रीस्ट्स ने सबसे पहले पोप और चर्च के अन्य अधिकारियों को विलियम के गलत कामों के बारे में लिखा था. विलियम और उसके गुंडों द्वारा उसका विरोध करने पर चार प्रीस्ट्स की हत्या करने का आरोप लगाया गया है. विलियम को हुड़दंगियों का पालन-पोषण करने के लिए और वकीलों को विरोधियों का मुकाबला करने के लिए उसकी ‘सेना’ के रूप में जाना जाता है.

स्प्राउट्स की एसआईटी को पता चला है कि जस्टिस सल्ढाना एसोसिएशन ऑफ कंसर्नड कैथोलिक्स (Association of Concerned Catholics (AOCC) के नेतृत्व वाले अखिल भारतीय आंदोलन में विलियम, जालंधर के रेपिस्ट बिशप फ्रेंको मुल्लाकल (Rapist Bishop Franco Mullakal of Jalandhar), पुणे के पोक्सो आरोपी बिशप थॉमस डाबरे   और कुछ अन्य जैसे लुम्पेन तत्वों के भारतीय कैथोलिक चर्च के पदानुक्रम को साफ करने में सबसे आगे हैं.

अब तक उन्हें फ्रांसिस सहित कई पोपों के साथ उनकी ‘निकटता’ के कारण गॉडफादर – कार्डिनल ग्रेसियस की सुरक्षा छत्रछाया के कारण ‘अछूत’ माना जाता था.

ग्रेसियस हालांकि अब खुद पुणे के दो मामलों में पॉक्सो का सह-आरोपी है, लेकिन पता चला है कि उसने कुछ प्रतिष्ठित पूर्व और वर्तमान कैथोलिक पुलिस अधिकारियों को मामले से बाहर निकालने के लिए इस्तेमाल किया और जिसकी जांच स्प्राउट्स की एसआईटी द्वारा की जा रही है.

फिर भी उसे पोप फ्रांसिस की भारतीय आंखें और कान माना जाता है, जो अब अपनी (पोप की) स्थिति की रक्षा के लिए ग्रेसियस, रूपनिक (Rupnik) आदि की रक्षा करने के लिए जाने जाते हैं.

हाल ही में विलियम के साथ ग्रेसियस की टेलीफोनिक बातचीत, जिसे विलियम द्वारा गुप्त रूप से ब्लैकमेल करने की रणनीति के रूप में रिकॉर्ड किया गया था, यद्यपि अप्रत्यक्ष रूप से विलियम द्वारा वायरल करने के बाद संदिग्ध सुर्खियां बनी.

ग्रेसियस विलियम को सलाह देते हुए स्पष्ट रूप से सुना जाता है – “आप सेंट जॉन अस्पताल, बैंगलोर में पितृत्व परीक्षण कराइए और हम डॉक्टरों और मीडिया को मैनेज करेंगे”

शर्मिंदा ग्रेसियस ने चालाकी और बेशर्मी के साथ टेप को संपादित करने के लिए मीडिया को दोषी ठहराया लेकिन अपने कवर-अप के प्रयास से इनकार नहीं किया.

हालाँकि, ‘दुष्ट विलियम डैडी’ की शाब्दिक बर्खास्तगी के साथ, जैसा कि उन्हें उनके विरोधियों द्वारा संदर्भित किया जाता है, ‘गॉडफादर’ ग्रेसियस द्वारा ठग गैलरी के चारों ओर बनाई गई दीवार को अंततः तोड़ दिया गया लगता है.

स्प्राउट्स की एसआईटी ‘स्वच्छ चर्च अभियान’ के मीडिया कवरेज में विशेष समाचारों की एक श्रृंखला के साथ सबसे आगे रही है.

देश और विदेश में अपने बढ़ते कैथोलिक पाठकों और कार्यकर्ताओं के अनुरोधों से ओतप्रोत स्प्राउट्स ने ग्रेसियास एण्ड कंपनी जैसे मोटी चमड़ी वाले, भ्रष्ट और अपश्चातापी धार्मिक नेताओं को बेनकाब करने का संकल्प लिया है.

“भारत में कुछ कैथोलिक भ्रष्ट धार्मिक नेता, कार्डिनल ‘सिनर’ ग्रेसियस द्वारा संरक्षण के कारण बहुत लंबे समय से आजाद घूम रहे हैं और बहुत से श्रदालुओं को चर्च छोड़ने के लिए मजबूर कर रहे हैं” मुंबई एओसीसी के प्रवक्ता – ब्लैसे गोम्स ने स्प्राउट्स के साथ अपनी प्रतिक्रिया में दावा किया है. गोम्स ने मांग की, “यदि उनमें जरा भी शर्म है तो उन्हें (ग्रेसियस) को विलियम की तरह बाहर निकाले जाने से पहले तुरंत इस्तीफा दे देना चाहिए.”

स्प्राउट्स अपने पाठकों से बच्चों, महिलाओं, नन्स, प्रीस्ट्स और आम लोगों के लिए न्याय के हित में भेड़ के कपड़ों में इन भेड़ियों को उजागर करने में साहसिक और निडर कवरेज जारी रखने का वादा करता है, जो सफेद वस्त्र में इन बदमाशों के शिकार हुए हैं.

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With over 28 years of experience, Unmesh Gujarathi stands as one of India’s most credible and courageous investigative journalists. As Editor-in-Chief of Sprouts, he continues to spearhead the newsroom’s hard-hitting journalism.
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Beyond his editorial leadership, Unmesh is a prolific author, having written over 12 books in Marathi and English on subjects such as Balasaheb Thackeray, the RTI Act, career guidance, and investigative journalism.
A regular contributor to national dailies and digital platforms, his work continues to inform, challenge, and inspire.
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