खंडोबा मंदिर की जमीन पर बियर बार

Unmesh Gujarathi
4 Min Read
06 JAN 2023 SPROUTS STORY PG1

उन्मेष गुजराथी
स्प्राउट्स एक्सक्लूसिव

छत्रपति शाहू महाराज ने जेजुरी में भगवान खंडोबा के मंदिर के लिए जमीन दान में दी थी. ‘स्प्राउट्स’ की स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम के हाथ सनसनीखेज जानकारी लगी है कि स्वयं मंदिर की देखरेख करनेवालों ने ही इस पवित्र जमीन पर बीयर बार खोल रखा है.

पुणे जिले के जेजुरी गांव में भगवान खंडोबा का मंदिर है, जो महाराष्ट्र के देवता हैं. इस मंदिर के रखरखाव के लिए आय की व्यवस्था हेतु अब तक मंदिर को 250 एकड़ से अधिक जमीन दान के रूप में मिल चुकी है.

स्वयं छत्रपति शाहू महाराज ने पूजाअर्चना और प्रसाद के वितरण के लिए आय की व्यवस्था हेतु मंदिर के लिए कुछ भूमि दान की थी. यह जमीन आध्यात्मिक प्रयोजनों के लिए दी गई थी. महाराज की नेक मंशा, इस जमीन की आय से प्रसाद और मंदिर के रखरखाव के खर्च को पूरा करने की थी.

इस जमीन पर, छत्रपति शाहू महाराज (छत्रपति संभाजी और महारानी येसुबाई, सतारा, राजवंश के पुत्र) ने दर्शन के लिए आने वाले भक्तों के लिए ‘मल्हातीर्थ’ नामक एक पवित्र सरोवर का निर्माण किया था. इस सरोवर के बगल में ‘लक्ष्मीतीर्थ’ नामक सरोवर भी है. इस ऐतिहासिक सरोवर में स्नान करना अत्यंत पवित्र माना जाता है.

प्रारंभ से ही पेशवा इस पवित्र भूमि की देखरेख करते आ रहे थे. आज भी उनके कथित वंशज म्हालसाकांत पेशवा जेजुरी गांव में रह रहे हैं. लेकिन पैसों की अत्यधिक लालसा के चलते उन्होंने इस जगह पर बीयर बार बना डाला है. जिसके कारण आए दिन यहां दारू पीते हुए शराबियों की तस्वीरें देखी जा सकतीं हैं.

मंदिर परिसर में इस बियर बार के कारण दिन भर शराबियों का अविरल आना-जाना होता रहता है, जिससे मंदिर और पवित्र सरोवर की पवित्रता नष्ट हो रही है. मंदिर को अपवित्र किया जा रहा है. साथ ही यह छत्रपति द्वारा मंदिर को दान दी गई जमीन का दुरूपयोग है. इसलिए इस बियर बार का लाइसेंस रद्द कर इसे तत्काल बंद किया जाना चाहिए और दोषी व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए. श्री मार्तंड देवसंस्थान ट्रस्ट के पूर्व ट्रस्टी नंदा राउत और सामाजिक कार्यकर्ता सुरेंद्र कदम ने ‘स्प्राउट्स’ से बात करते हुए यह मांग की है.

ऐसी किंवदंती है कि महाराजा द्वारा मंदिर को दान की गई जमीन पर आज भी ऐतिहासिक पवित्र सरोवर है. इस सरोवर का पानी पवित्र माना जाता है. पेशवा इस सरोवर का पानी खेतों तक लेकर गए थे. इससे उत्पन्न अनाज को भक्तों के लिए वितरित किए जानेवाले प्रसाद के रूप में उपयोग किया जाता था. किंवदंती है कि इस अनाज के घर-घर पहुंचने से भक्तों के घर लक्ष्मी आती है. आज इस पवित्र सरोवर के बगल में बियर बार खोल दिया गया है.

क्या असली पेशवा हैं?

‘स्प्राउट्स’ की टीम को शक है कि क्या जो लोग आज पेशवा के वंशज होने का दावा कर रहे हैं, वे वास्तव में उनके वंशज हैं. जब इस संबंध में प्रतिक्रिया के लिए म्हालसाकांत पेशवा से संपर्क किया गया तो उनसे संपर्क नहीं हो सका.

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With over 28 years of experience, Unmesh Gujarathi stands as one of India’s most credible and courageous investigative journalists. As Editor-in-Chief of Sprouts, he continues to spearhead the newsroom’s hard-hitting journalism.
Past Editorial Roles:
•DNA (Daily News & Analysis) •The Times Group •The Free Press Journal
•Saamana •Dabang Dunia •Lokmat
Education:
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Beyond his editorial leadership, Unmesh is a prolific author, having written over 12 books in Marathi and English on subjects such as Balasaheb Thackeray, the RTI Act, career guidance, and investigative journalism.
A regular contributor to national dailies and digital platforms, his work continues to inform, challenge, and inspire.
• A journalist. A leader. A voice for the people.