उन्मेष गुजराथी
स्प्राउट्स एक्सक्लूसिव
नवी मुंबई, महाराष्ट्र में ‘डी. वाई पाटिल विश्वविद्यालय में ‘स्कूल ऑफ आयुर्वेद’ नामक महाविद्यालय है. इस महाविद्यालय के डीन पद पर कई वर्षों से जालसाज महेश कुमार हरित कार्यरत है. दिलचस्प बात यह है कि इस जालसाज की ‘डॉक्टर’ की डिग्री बोगस है. यह सनसनीखेज जानकारी स्प्राउट्स की स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम (एसआईटी) के हाथ लगी है.
महेश कुमार हरित फर्जी डॉक्टर है. ‘स्प्राउट्स’ ने सबसे पहले ब्रेकिंग न्यूज दी थी कि इस फर्जी डॉक्टर के 10वीं सहित सभी डिग्रियां नकली और फर्जी हैं.
यूनिवर्सिटी ग्रांटस कमीशन (UGC) ने ‘स्प्राउट्स’ की इस खबर का तुरंत संज्ञान लिया और यूनिवर्सिटी प्रशासन को कार्रवाई करने के आदेश दिए. लेकिन यूनिवर्सिटी ने ‘यूजीसी’ के इस आदेश को रद्दी की टोकरी में फेंक दिया है.
सब गोलमाल है
- महेश कुमार के 10वीं और 12वीं के सर्टिफिकेट हाथ से लिखे हुए हैं. इस पर पिता का नाम सीताराम वैद्य लिखा हुआ है. साथ ही दोनों मार्कशीट डुप्लीकेट स्वरुप में मिली हैं. इतना ही नहीं उसने 1985 में 10वीं और उसके अगले साल यानी 1986 में 12वीं पास करने के दस्तावेज भी संलग्न किए हैं.
*10वीं और 12वीं ही नहीं बल्कि ‘बीएएमएस’ और उसके बाद के अनुभव प्रमाण पत्र, जॉइनिंग लेटर सभी दस्तावेज फर्जी हैं. ये सभी दस्तावेज ‘स्प्राउट्स’ ने आरटीआई के जरिये हासिल किए हैं.
*दिलचस्प बात यह है कि इस फर्जी डॉक्टर के सभी दस्तावेज नकली हैं, फिर भी महाराष्ट्र काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसिन (एमसीआईएम) के भ्रष्ट रजिस्ट्रार डॉ. दिलीप वांगे ने इस फर्जी डॉक्टर की डिग्री को पंजीकृत किया और इसे बार-बार नवीनीकृत किया. इस संबंध में कई शिकायतों के बावजूद भी वांगे ने इस मामले में कोई संज्ञान नहीं लिया.
- डॉ. दिलीप वांगे ‘एमसीआईएम’ में पिछले 15 साल से एक ही पद पर कार्यरत हैं. उन्होंने इस संगठन में कई घोटाले किए हैं और इससे करोड़ों की काली कमाई की है.