राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने किया सम्मानित
उन्मेष गुजराथी
स्प्राउट्स ब्रांड स्टोरी
राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी (Bhagat Singh Koshyari) महाराष्ट्र के सभी विश्वविद्यालयों के कुलपति हैं. लेकिन फर्जी पीएचडी धारक ने राजभवन में उनकी प्रमुख उपस्थिति में पुरस्कार समारोह का आयोजन किया. इससे पहले भी इसी फर्जी पीएचडी धारक ने राजभवन में ही पुरस्कार समारोह किया था.
राज्यपाल की इसी लापरवाही और बेपरवाही से महाराष्ट्र में ऐसे फर्जी पीएचडी धारक फले-फूले हैं. अंग्रेजी दैनिक ‘स्प्राउट्स’ की स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम ने राजभवन में आयोजित इस कार्यक्रम के आयोजक लोकेश का सबूतों के साथ भंडाफोड़ किया है.
‘अहिंसा विश्व भारती’ (Ahimsa Vishwa Bharati) द्वारा 6 नवंबर को राजभवन में ‘अहिंसा अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार समारोह’ का आयोजन किया गया. लोकेश इस संस्था के ट्रस्टी हैं. यह लोकेश ‘आचार्य डॉ. लोकेश मुनि’ (Acharya Dr Lokesh Muni) के रूप में अपना परिचय देते हैं. राजभवन के पत्र में भी इसका उल्लेख है.
लोकेश के पास मानद पीएचडी है. यह पीएचडी उन्हें इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशन रिसर्च एंड डेवलपमेंट इंडिया बोर्ड ऑफ अल्टरनेटिव मेडिसिन्स (Institute of Education Research and Development India Board of Alternative Medicines) द्वारा प्रदान की गई है.
यह एक ‘बोर्ड’ है न कि विश्वविद्यालय, इसलिए इस बोर्ड को किसी भी रूप में पीएचडी प्रदान करने का कोई अधिकार नहीं है. इसीलिए इस बोर्ड द्वारा प्रदान की जाने वाली मानद पीएचडी अवैध और पूरी तरह से फर्जी है.
बोगस पीएचडी धारक लोकेश कभी ‘आचार्य डॉ. लोकेश मुनि’ तो कभी ‘संत आचार्य डॉ. लोकेश मुनि’ के रूप में अपना उल्लेख करता है. यह उल्लेख सर्वथा गलत और जैन धर्म का अपमान करने वाला है. दरअसल लोकेश ने ‘तेरापंथी’ संप्रदाय की दीक्षा ली थी.
लेकिन, उसके द्वारा कुछ सिद्धांतों का उल्लंघन किये जाने पर असे कुछ साल पहले निष्कासित कर दिया गया था. आज जैन धर्म में उसका कोई गुरु नहीं है.
लोकेश महंगी लग्जरी कारों में तो कभी हवाई जहाज से सफर करता है. जैन मुनियों को कारों और विमानों में बैठने की सख्त मनाही है. इतना ही नहीं, चातुर्मास के 4 महीनों में कहीं भी जाने की अनुमति नहीं है, इस दौरान लोकेश विदेश में घूम राहा है.
अहिंसा विश्व भारती ट्रस्ट का रहस्य
लोकेश ‘अहिंसा विश्व भारती’ ( Ahimsa Vishwa Bharati ) नामक एनजीओ का ट्रस्टी है. इसके जरिये वह लगातार चंदा इकट्ठा कर कर रहा है. राजभवन में बार-बार अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार समारोह आयोजित करना, और इसकेलिए केवल केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल (Piyush Goyal), पृथ्वीराज कोठारी (Prithviraj Kothari), संजय घोडावत (Sanjay Ghodawat) जैसे दिग्गजों को आमंत्रित कर पुरस्कार देना, चंदा प्राप्त करने का एक सरल और सटीक तरीका है.
आज भी किसी भी जैन मुनि के लिए नंगे पैर यात्रा करना अनिवार्य है. इतना ही नहीं एयर कंडीशन में बैठना भी मना है. वहीं दूसरी ओर लोकेश लग्जरी एसी गाड़ियों और विमानों में विदेश यात्रा करता है. सोशल मीडिया भी रोज अपडेट करता है.
इतना ही नहीं, वह धन इकट्ठा करने के लिए ट्रस्ट की स्थापना कर रहा है. उसकी ये गतिविधियां जैन मुनियों द्वारा निर्धारित नियमों के विरुद्ध हैं. इतना ही नहीं, जैन समाज द्वारा किसी भी ‘मुनि’ को रुपया- पैसा स्पर्श करने का अधिकार नहीं दिया गया है.
लेकिन इस जालसाज को सुर्खियां बटोरने और अवैध रूप से काला धन इकट्ठा करने की आदत लग चुकी है. इसलिए इसकी कानूनी जांच होनी चाहिए कि इसने इस ट्रस्ट के माध्यम से कितना काला धन इकट्ठा किया है.
‘स्प्राउट्स’ से बात करते हुए जैन समुदाय के वरिष्ठ मुनियों ने यह मांग की है कि लोकेश द्वारा अपने नाम के साथ ‘मुनि’ शब्द का उल्लेख करना तुरंत बंद होना चाहिए. इस संबंध में प्रतिक्रिया जानने के लिए, जब लोकेश से संपर्क किया गया तो उससे संपर्क नहीं हो सका.
‘आचार्य’ की उपाधि भी नकली है
यहाँ तक कि उसकी ‘आचार्य’ की उपाधि भी नकली है. तेरापंथी समाज में ‘आचार्य’ की उपाधि केवल एक व्यक्ति के पास होती है. ‘एक गुरु और एक विधान’ यहां का नियम है. इस नियम के अनुसार वर्तमान में यह उपाधि श्रीमहाश्रमण को दी गई है. किसी अन्य व्यक्ति को इस उपाधि को लगाने का अधिकार नहीं है.
जालसाज व्यक्ति लोकेश ने कहा है कि ‘आचार्यश्री’ की उपाधि उसे एक जापानी संस्था ने दी थी. लेकिन वह संस्था भी प्रामाणिक नहीं हैं.
राजभवन है ‘पुरस्कार वितरण केंद्र’
राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी प्रतिदिन सैकड़ों लोगों को सम्मानित करते हैं. राजभवन एक सरकारी भवन है. कोई निजी पुरस्कार वितरण केंद्र नहीं है, लेकिन राज्यपाल और उनके अवैध रूप से नियुक्त भ्रष्ट सचिव उल्हास मुणगेकर इस पवित्र भवन का दुरुपयोग कर रहे हैं. शोहरत के लिए वे आज तक अंडरवर्ल्ड से जुड़े गैंगस्टरों को भी पुरस्कार दे चुके हैं. ‘स्प्राउट्स’ ने बार-बार इसकी लिखित शिकायत की है. लेकिन, राज्यपाल कोश्यारी ने अभी तक इस पर संज्ञान नहीं लिया है, इसके विपरीत उन्होंने मुणगेकर जैसे जालसाज की नियुक्त की समयावधि फिर से बढ़ा दी है.