महाराष्ट्र में 60,000 से अधिक आयुर्वेदिक डॉक्टर (Ayurvedic doctors) हैं, जिन्हें महाराष्ट्र काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसिन (Maharashtra Council of Indian Medicine (MCIM) के साथ अपना पंजीकरण कराना आवश्यक होता है.
उन्मेष गुजराथी
स्प्राउट्स ब्रांड स्टोरी
हालांकि लगभग 3 साल बीत जाने के बाद भी डॉक्टरों को पंजीकरण प्रमाण पत्र नहीं दिया गया है जिसके कारण निराश डॉक्टर एमसीआईएम रजिस्ट्रार डॉ. दिलीप वांगे (Dr. Dilip Wange) के एजेंटों को भारी रिश्वत देकर प्रमाण पत्र ले रहे हैं.
आखिरकार डॉ. वांगे और उनके साथी करोड़ों रुपए बटोर रहे हैं. लेकिन कोई भी आवाज उठाने को तैयार नहीं है.
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डॉ वांगे पंजीकरण के साथ-साथ पंजीकरण के नवीनीकरण में देरी करते हैं. रिश्वत देने वालों को तत्काल प्रमाण पत्र जारी कर दिया जाता है. इसके अलावा जिन लोगों को पंजीकरण प्रमाण पत्र जारी किए गए, उनमें गंभीर गलतियां पाई गईं.
ऐसे गलत प्रमाणपत्रों की संख्या हजारों में है. लेकिन शिकायत करने की हिम्मत कोई नहीं करता.
करोड़ों रुपये खर्च कर रजिस्ट्रेशन के लिए नया सॉफ्टवेयर लगाने का ठेका दिया गया था. हालांकि यह सॉफ़्टवेयर विफल हो गया है और प्रमाणपत्रों में बहुत सारी गलतियां हैं. प्रमाणपत्रों में गलतियों के कारण, डॉक्टरों को गलतियों को सुधारने के लिए दर-दर भटकना पड़ता है और डॉ. वांगे के एजेंटों को रिश्वत भी देनी पड़ती है.
नतीजतन झोलाछाप डॉक्टरों की संख्या कई गुना बढ़ गई है, जिससे लोगों की जान खतरे में पड़ रही है. इसे देखते हुए जनता दल (सेक्युलर) मुंबई के अध्यक्ष प्रभाकर नारकर (Janata Dal (Secular ) Mumbai President Prabhakar Narkar) ने मामले की गहन जांच की मांग की है और पिछले 15 वर्षों से रजिस्ट्रार पद पर काबिज डॉ. वांगे को तत्काल हटाने की मांग की है.