Education

लात मारिए सारे हैंड सैनिटाइजर्स को 

1 Mins read

सैवलॉन, डेटॉल, लाइफबॉय, गोदरेज, डाबर जैसे सैनिटाइजर्स  को निकाल फेंकें ..

कोविड – 19 महामारी के समय, फार्मा कंपनियों ने लोगों को लूटा 

उन्मेष गुजराथी
स्प्राउट्स एक्सक्लूसिव

जब से कोविड – 19 (COVID-19) ने भारत सहित दुनिया को अपनी चपेट में लिया है, सेवलॉन (Savlon), डेटॉल (Dettol), लाइफबॉय (Lifebuoy), गोदरेज (Godrej), डाबर (Dabur) और अन्य कंपनियों सहित फार्मा फार्मासियुटिकल कंपनियां (pharmaceutical companies) हैंड सैनिटाइजर्स (hand sanitizers) और अन्य संक्रमण-रोधी उत्पादों (anti-infection products) को बेचकर हजारों करोड़ रुपये कमा रही हैं.

ये फार्मा कंपनियां अपने उत्पादों को बाजार में डंप करने के लिए डब्ल्यूएचओ (WHO) को ढाल की तरह इस्तेमाल कर रही हैं. मूल रूप से आयुर्वेद (Ayurveda) इन सैनिटाइजर्स को मान्यता नहीं देता है क्योंकि साबुन से हाथ धोना किसी को भी संक्रमण से बचाने के लिए पर्याप्त है.

हालांकि मिट्टी को पवित्र और शुद्ध भारतीय संस्कृति माना जाता है, लेकिन पश्चिमी लोग इसे गंदगी मानते हैं. इन फार्मा कंपनियों ने लोगों के बीच एक डर-मनोविकार (fear psychosis) (जिसे उपभोक्ताओं के बीच आतंक के रूप में वर्णित किया जा सकता है) उत्पन्न किया है कि यदि वे सैनिटाइजर्स का उपयोग नहीं करते हैं तो वे खतरनाक बीमारी की चपेट में आ जाएंगे. 

हालांकि आयुर्वेद सैनिटाइजर्स को मान्यता नहीं देता है, फिर भी आयुर्वेद आधारित उत्पाद बेचने वाली कुछ कंपनियां हैं, हालांकि उन सभी में एल्कोहल होता है. एक-दो उत्पादों को छोड़कर बाकी सभी आयुर्वेदिक सैनिटाइजर केमिकल से भरे हुए हैं. आयुर्वेद ने इन “आयुर्वेदिक” सैनिटाइजर्स को अनुमति नहीं दी है.

इसके अतिरिक्त सरकार ने भी लोगों में डर पैदा किया है और अप्रत्यक्ष रूप से इन फार्मा कंपनियों के इस संदिग्द्ध कारोबार को बढ़ावा दिया है. सरकार अपने आदेश के खिलाफ लोगों को आवाज उठाने की अनुमति नहीं देती है. इस करोड़ों रुपये के घोटाले में सरकारी अधिकारी भी शामिल हैं और उनकी भूमिका की जांच की जानी चाहिए. 

सैनिटाइजर बच्चों के लिए हानिकारक होते हैं, क्योंकि इसके इस्तेमाल से जलन, त्वचा पर धब्बे आदि हो जाते हैं. सैनिटाइजर्स एल्कोहल आधारित उत्पाद होते हैं जो बैक्टीरिया को मारते हैं. साथ ही वे हाथों को रूखा बना देते हैं, जो हानिकारक होता है. चिकित्सा विज्ञान के अनुसार कुछ बैक्टीरिया स्वस्थ रहने के लिए अच्छे होते हैं.

स्प्राउट्स की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (Sprouts Special Investigation Team) ने खुलासा किया है कि जब कोरोनावायरस फैलना शुरू हुआ, तो लोगों को कीटाणुओं से छुटकारा पाने और वायरस के संचरण को रोकने के लिए अपने हाथों को ठीक से और बार-बार धोने की सलाह दी गई. जब वे साबुन का उपयोग नहीं कर सकते हैं, तो कम से कम 60 प्रतिशत एल्कोहल की मात्रा वाले एल्कोहल-आधारित हैंड सैनिटाइजर्स एक बढ़िया विकल्प के रूप में काम करते हैं. लेकिन बहुत अधिक एल्कोहल का त्वचा और शरीर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है.

स्प्राउट्स की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम के अनुसार, सैनिटाइजर्स के कई प्रतिकूल प्रभाव (adverse effects) हैं यथा त्वचा में जलन (Skin irritation) – एल्कोहल (alcohol), क्लोरहेक्सिडाइन (chlorhexidine), क्लोरोक्साइलेनॉल (chloroxylenol) और ट्राईक्लोसन (triclosan) जैसे रसायन वाले हैंड सैनिटाइजर्स का अत्यधिक उपयोग जलन पैदा कर सकता है क्योंकि यह त्वचा के नेचुरल ऑयल (skin’s natural oils) अर्थात त्वचा की नमी को खत्म कर देता है. जब त्वचा की प्राकृतिक नमी के अवरोधक बाधित हो जाते हैं, तो यह बैक्टीरिया के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाती है.

शुष्क और खंडित त्वचा (Dry and broken skin) – हैंड सैनिटाइजर्स में मौजूद एल्कोहल में आइसोप्रोपिल (isopropyl), इथेनॉल (ethanol) और एन-प्रोपेनोल (n-propanol) शामिल होते हैं, जो त्वचा की कोशिकाओं को शुष्क और क्षतिग्रस्त कर सकते हैं. जब ऐसा होता है, डर्मेटाइटिस (dermatitis) के संपर्क आने का खतरा बढ़ जाता है. 

एंटीबायोटिक प्रतिरोध (Antibiotic resistance) – हैंड सैनिटाइजर्स में ट्राईक्लोसन नामक एक सक्रिय घटक होता है, जो एंटीबायोटिक्स प्रतिरोधी बैक्टीरिया विकसित करने के लिए जिम्मेदार होता है. जब कोई व्यक्ति हैंड सैनिटाइजर्स का बहुत अधिक उपयोग करता है, तो यह एंटीबायोटिक दवाओं को नष्ट कर देता है जिससे व्यक्ति को संक्रमण हो सकता है.

हानिकारक अज्ञात सामग्री (Harmful unknown ingredients) – बहुत सारे हैंड सैनिटाइजर्स रासायनिक सुगंधों (chemical fragrances) के साथ बनाए जाते हैं, जिसे कुछ निर्माता लेबल पर इंगित नहीं करते हैं. ये सुगंध (fragrances) संवेदनशील त्वचा वाले लोगों को परेशान कर सकती है और एलर्जी (allergy) का कारण बन सकती है और शरीर में हार्मोन की गड़बड़ी भी पैदा कर सकती हैं.

प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करता है – एक मानव शरीर जो प्रारंभिक जीवन में स्वच्छ वातावरण में उपयोग होता है, उसके जीवन में बाद में कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली हो सकती है। एक अध्ययन से पता चला है कि बच्चों में ट्राईक्लोसन का उच्च स्तर उन्हें एलर्जी (allergies) के प्रति संवेदनशील बना सकता है.

Related posts
EducationEntertainmentTrending News

Bollywood Actress Riva Arora's Honorary Doctorate is Fake.

4 Mins read
‌ • Sprouts SIT Reveals the Facts • An Honorary Doctorate Worth Tissue Paper Unmesh Gujarathi Sptouts News Exclusive Bollywood actress and…
EducationExclusive

D Y Patil Medical College Scam: NMC Orders Action Against it.

2 Mins read
D Y Patil Medical College Scam: National Medical Commission Demands Action • Serious Allegations Against the College Unmesh Gujarathi Sprouts News Exclusive…
EducationExclusive

Mumbai University Scandal: Fake Appointments & Salary Fraud.

3 Mins read
Mumbai University Scandal • Fake Appointments and Salary Fraud Exposed! • Sprouts News Investigation: Who’s Protecting the Guilty? • Shocking Revelations: Corrupt…